संसार की समर स्थली मे धीरता धारण करो, मे अनुप्रास अलंकार है.
दुख इस मानव-आत्मा का रे में कौन सा अलंकार है
रावनु रथी विरथ रघुवीरा’ में कौन सा अलंकार है
शेष, महेश, गणेश, दिनेश, सुरेश हि जाहि निरंतर गावै में कौन सा अलंकार है
उदित उदय गिरि-मंच पर रघुबर-बाल पतंग, बिकसे संत-सरोज सब हरषे लोचन-भृंग।’ में कौन सा अलंकार है
‘माला फेरत जुग भया, मिटा न मनका फेर, कर का मनका डारि के मन का मनका फेर।’ में कौन सा अलंकार है
चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से, में कौन-सा अलंकार है
निर्धन के धन सी तुम आई में कौन-सा अलंकार है
कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है, में कौन सा अलंकार है
इस करुणा कलित हृदय में अब विकल रागिनी बजती में कौन सा अलंकार है
सबहि सुलभ सब दिन सब देसा में कौन सा अलंकार है
ध्वनि मयी कर के गिरि-कंदरा, कलित-कानन-केलि-निकुंज को,में कौन सा अलंकार है
नदियाँ जिनकी यशधारा-सी ,बहती हैं अब भी निशि वासर में कौन-सा अलंकार है
सागर के उर पर नाच नाच करती है में कौन सा अलंकार है
खग कुल कुल कुल सा बोल रहा में कौन सा अलंकार है
हमारे हरि हारिल की लकरी’ में कौन सा अलंकार है
वह इष्टदेव के मंदिर की पूजा सी में कौन-सा अलंकार है
एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास में कौन सा अलंकार है
जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं, इसमें कौन सा अलंकार है
बाधा था विधु को किसने इन काली जंजीरों से। मणि वाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ था हीरों से।’ में कौन सा अलंकार है
कबीरा सोई पीर है जो जानै पर पीर, जो पर पीर न जानई सो काफिर बेपीर, में कौन सा अलंकार है
‘चरण-कमल बन्दों हरि राई।’ में कौन सा अलंकार है
लसत सूर सायक-धनु-धारी में कौन सा अलंकार है
‘तारा सो तरनि धूरि धारा मैं लगत जिमि, थारा पर पारा पारावार यो हलत है।’ में कौन सा अलंकार है
कुकि – कुकि कलित कुंजन करत कलोल।’ में कौन सा अलंकार है
जो नत हुआ वह मृत हुआ ज्यों वृंत से झरकर कुसुम में कौन सा अलंकार है
‘प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि’ में कौन सा अलंकार है
मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों में कौन सा अलंकार है
सो सुख सुजस सुलभ मोहि स्वामी में कौन सा अलंकार है
‘ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी। ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।’ में कौन सा अलंकार है
राम रमापति कर धनु लेहू में कौन सा अलंकार है
पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से, मानो झूम रहे हों तरु भी मंद पवन के झोंकों से में कौन सा अलंकार है
केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास इसमें कौन सा अलंकार है
नभ मंडल छाया मरुस्थल सा दल बाँध के अंधड़ आवे चला में कौन-सा अलंकार है
वह दीपशिखा-सी शांत भाव में लीन में कौन-सा अलंकार है
दान-परसु बुधि-शक्ति प्रचंडा , बर-बिज्ञान कठिन कोदण्डा।’ में कौन सा अलंकार है
‘चमक गई चपला चम चम’ में कौन सा अलंकार है
किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची। फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।’ में कौन सा अलंकार है
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।’ में कौन सा अलंकार है
मुख मयंक सम मंजु मनोहर,में कौन सा अलंकार है
नदियाँ जिनकी यशधारा सी बहती है अब निशि -वासर’ में कौन सा अलंकार है
निपट निरंकुस निठुर निसंकू में कौन सा अलंकार है
रती-रती सोभा सब रति के शरीर की,मैं कौन सा अलंकार है
किसबी, किसान-कुल बनिक, भिखारी, भाट में कौन सा अलंकार है
एक सुंदर सीप का मुँह था खुला में कौन सा अलंकार है
चमचमात चंचल नयन, बिच घूँघट पर झीन में कौन सा अलंकार है
बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों में, मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।’ में कौन सा अलंकार है
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून में कौन सा अलंकार है
तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती है इसमें कौन सा अलंकार है
मंगन को देखि पट देत बार-बार है में कौन सा अलंकार है
तरणि के ही संग तरंग में, तरणि डूबी थी हमारी ताल में, कौन सा अलंकार है
जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो में कौन सा अलंकार है
तारे आसमान के हैं आये मेहमान बनि में कौन सा अलंकार है
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा में कौन सा अलंकार है
सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा में कौन सा अलंकार है
खंड-खंड करताल बाजार ही विशुद्ध हवा।’ में कौन सा अलंकार है
कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए में कौन सा अलंकार है
मखमल के झूले पड़े हाथी सा टीला’ में कौन सा अलंकार है
शोभा-सिंधु ना अंत रही है।’ में कौन सा अलंकार है
दिवस का समय, मेघ आसमान से उतर रही है, वह संध्या सुंदरी सी, धीरे धीरे।’ में कौन सा अलंकार है
मुदित महीपति मंदिर आये में कौन सा अलंकार है
भर लाऊं सीपी में सागर प्रिय में कौन सा अलंकार है
‘नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा।’ में कौन सा अलंकार है
भर गया जी हनीफ़ जी जी कर, थक गए दिल के चाक सी सी कर, यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़, रेग जारों में ओस पी पी कर इसमें कौन सा अलंकार है
पंकज तो पंकज, मृगांक भी है मृगांक री प्यारी में कौन सा अलंकार है
राम नाम मनि-दीप धरु, जीह देहरी दवार, एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास।’ में कौन सा अलंकार है
चरण धरत, चिंता करत, चितवत चारहुँ ओर में कौन सा अलंकार है
‘दादुर धुनि चहुँ दिशा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ।’ में कौन सा अलंकार है
मुख मानो चंद्रमा है में कौन सा अलंकार है
उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा में कौन सा अलंकार है
कुंद इंदु सम देह, उमा रमन करुणा अयन में कौन सा अलंकार है
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के में कौन सा अलंकार है
वह शर इधर गांडीव धनुष से भिन्न जैसे ही हुआ में कौन सा अलंकार है
लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए में कौन सा अलंकार है
पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेतु,में कौन सा अलंकार है
मानहु विधि तन-अच्छ छवि स्वच्छ राखिजे काज में कौन सा अलंकार है
'सो सुख सुजस सुलभ मोहि स्वामी' में कौन-सा अलंकार है
वे न इहाँ नागर भले जिन आदर तौं आब में कौन सा अलंकार है
कालिंदी कूल कदंब की डारन में कौन सा अलंकार है
मन-सागर मनसा लहरि बूड़े-बहे अनेक में कौन सा अलंकार है