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समास (Samas In Hindi) - परिभाषा, भेद और उदाहरण

हिन्दी व्याकरण में 'समास' का एक महत्वपूर्ण स्थान है। संक्षिप्त रूप में अपनी बात कहना ही समास का मुख्य उद्देश्य है। इस लेख में हम समास की परिभाषा, इसके प्रकार और उदाहरणों को विस्तार से समझेंगे।

समास की परिभाषा (Samas Ki Paribhasha)

'समास' शब्द का शाब्दिक अर्थ है— संक्षेप या संक्षिप्तीकरण।

दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जब एक नया और सार्थक शब्द बनता है, तो उस मेल को समास कहते हैं।

  • सामासिक पद (Samasik Pad): समास के नियमों से बना शब्द 'सामासिक पद' या 'समस्त पद' कहलाता है।

  • समास विग्रह (Samas Vigrah): सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना 'समास विग्रह' कहलाता है।

उदाहरण: > * गंगाजल: गंगा का जल (यहाँ 'गंगाजल' समस्त पद है और 'गंगा का जल' इसका विग्रह है)।

  • राजपुत्र: राजा का पुत्र।

 

समास के भेद (Types of Samas)

हिन्दी व्याकरण के अनुसार समास के मुख्य रूप से 6 भेद होते हैं:

1. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)

जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह 'अव्यय' हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें पहला पद उपसर्ग भी हो सकता है।

  • यथाशक्ति: शक्ति के अनुसार

  • प्रतिदिन: प्रत्येक दिन

  • आजन्म: जन्म से लेकर

  • रातोंरात: रात ही रात में

2. तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)

जिस समास का उत्तर पद (दूसरा पद) प्रधान होता है और दोनों पदों के बीच की 'कारक विभक्ति' (का, को, से, के लिए आदि) का लोप हो जाता है।

  • गगनचुंबी: गगन को चूमने वाला

  • प्रयोगशाला: प्रयोग के लिए शाला

  • धनहीन: धन से हीन

  • राजकुमार: राजा का कुमार

3. कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)

जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो और पदों के बीच विशेषण-विशेष्य या उपमेय-उपमान का संबंध हो।

  • चरणकमल: कमल के समान चरण

  • नीलकंठ: नीला है जो कंठ

  • चंद्रमुख: चंद्रमा के समान मुख

  • महादेव: महान है जो देव

4. द्विगु समास (Dvigu Samas)

जिस समास का पहला पद संख्यावाचक (Number) हो, उसे द्विगु समास कहते हैं। यह समूह का बोध कराता है।

  • चौराहा: चार राहों का समूह

  • तिराहा: तीन राहों का समाहार

  • नवग्रह: नौ ग्रहों का समूह

  • सप्ताह: सात दिनों का समूह

5. द्वंद्व समास (Dvandva Samas)

जिस समास में दोनों पद प्रधान हों और विग्रह करने पर 'और', 'अथवा', 'या', 'एवं' लगता हो। इसके बीच अक्सर योजक चिह्न (-) होता है।

  • माता-पिता: माता और पिता

  • सुख-दुःख: सुख और दुःख

  • रात-दिन: रात और दिन

  • पाप-पुण्य: पाप या पुण्य

6. बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)

जिस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता, बल्कि दोनों पद मिलकर किसी तीसरे अर्थ की ओर संकेत करते हैं।

  • लंबोदर: लंबा है उदर (पेट) जिसका अर्थात् गणेश जी

  • दशानन: दस हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण

  • पीतांबर: पीले हैं वस्त्र जिसके अर्थात् श्री कृष्ण

  • चक्रपाणि: चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् विष्णु जी

समास पहचानने की शॉर्ट ट्रिक (Quick Revision Table)

समास का नाम मुख्य पहचान
अव्ययीभाव पहला पद छोटा या उपसर्ग (यथा, प्रति, आ, भर)।
तत्पुरुष विग्रह करने पर कारक चिह्न (का, के, को) आए।
कर्मधारय विशेषण (विशेषता) बताने वाले शब्द।
द्विगु पहला पद गिनती/संख्या वाला हो।
द्वंद्व दोनों पद एक-दूसरे के उल्टे हों या बीच में 'और' आए।
बहुव्रीहि देवी-देवताओं के नाम या कोई तीसरा विशेष अर्थ।