जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि ,कालिंदी कूल कदम्ब की डारन,में अनुप्रास अलंकार है.
रावनु रथी विरथ रघुवीरा’ में कौन सा अलंकार है
कबीरा सोई पीर है जो जानै पर पीर, जो पर पीर न जानई सो काफिर बेपीर, में कौन सा अलंकार है
तोपर वारौं उर बसी, सुन राधिके सुजान, तू मोहन के उर बसी ह्वे उरबसी सामान. इसमें कौन सा अलंकार है
‘सपना-सपना समझ कर भूल न जाना’ में कौन सा अलंकार है
तारावलि-सी मृदु मुसकान में कौन-सा अलंकार है
सागर के उर पर नाच नाच करती है में कौन सा अलंकार है
लहरें व्योम चूमती उठतीं में कौन सा अलंकार है
उसका मुखड़ा चंद्रमा के समान सुंदर है में कौन सा अलंकार है
पंकज तो पंकज, मृगांक भी है मृगांक री प्यारी में कौन सा अलंकार है
नाक का मोती अधर की कांति से में कौन सा अलंकार है
हमारे हरि हारिल की लकरी’ में कौन सा अलंकार है
‘नील गगन-सा शांत हृदय था सो रहा।’ में कौन सा अलंकार है
केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास।’ में कौन सा अलंकार है
स्वारथु सुकृतु न, श्रमु वृथा में कौन सा अलंकार है
यह देखिये , अरविन्द – शिशु वृन्द कैसे सो रहे।’ में कौन सा अलंकार है
शोभा-सिंधु ना अंत रही है।’ में कौन सा अलंकार है
अंबर के तारे मानो मोती अनगन है में कौन सा अलंकार है
भूप सहस दस एकहि बारा में कौन सा अलंकार है
‘तब बहता समय शिला सा जम जायेगा’ में कौन सा अलंकार है
खग कुल कुल कुल सा बोल रहा में कौन सा अलंकार है
मार सुमार करी डरी,मरी मरीहि न मारि में कौन सा अलंकार है
‘श्रद्धानत तरुओं की अंजली से झरे पात, कोंपल के मूंदे नयन थर-थर-थर पुलकगात।’ में कौन सा अलंकार है
सिंधु-सा विस्तृत और अथाह एक निर्वासित का उत्साह में कौन-सा अलंकार है
लसत सूर सायक-धनु-धारी में कौन सा अलंकार है
वह दीपशिखा-सी शांत भाव में लीन में कौन-सा अलंकार है
ध्वनि मयी कर के गिरि-कंदरा, कलित-कानन-केलि-निकुंज को,में कौन सा अलंकार है
‘शशि-मुख पर घूंघट डाले।’ में कौन सा अलंकार है
‘गुन करि मोहि सूर सँवारे को निरगुन निरबैहै।’ में कौन सा अलंकार है
जिस वीरता से शत्रुओं का सामना उसने किया। असमर्थ हो उसके कथन में मौन वाणी ने लिया।’ में कौन सा अलंकार है
नदियाँ जिनकी यशधारा-सी बहती हैं अब भी निशि वासर में कौन सा अलंकार है
मन-सागर मनसा लहरि बूड़े-बहे अनेक में कौन सा अलंकार है
ईस भजनु सारथी-सुजाना , बिरति-वर्म संतोष कृपाना।’ में कौन सा अलंकार है
कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन ते प्रान ।’ में कौन सा अलंकार है
‘जगी वनस्पतियाँ अलसाई मुह धोया शीतल जल से’ में कौन सा अलंकार है
पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय में कौन सा अलंकार है
बरजीते सर मैन के, ऐसे देखे मैं न हरिनी के नैनान ते हरिनी के ये नैन इसमें कौन सा अलंकार है
‘आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।’ में कौन सा अलंकार है
‘बीती विभावरी जाग री, अंबर पनघट में डुबो रही, तारा घट उषा नागरी।’ में कौन सा अलंकार है
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के में कौन सा अलंकार है
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा में कौन सा अलंकार है
राम रमापति कर धनु लेहू में कौन सा अलंकार है
मेघमय आसमान से उतर रही है संध्या सुन्दरी परी सी धीरे धीरे धीरे।’ में कौन सा अलंकार है
चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से, में कौन-सा अलंकार है
गिरिधर नार नवावति में कौन सा अलंकार है
लोने-लोने वे घने चने क्या बने-बने इठलाते हैं, हौले-हौले होली गा-गा धुंघरू पर ताल बजाते हैं।’ में कौन सा अलंकार है
‘कहती हुई यूँ उत्तरा के नेत्र जल से भर गए। हिम कणों से पूर्ण मानों हो गए पंकज नए।’ में कौन सा अलंकार है।
दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है में कौन सा अलंकार है
चंचला स्नान कर आए में कौन सा अलंकार है
‘प्रकृति का अनुराग-अंचल हिल रहा है।’ में कौन सा अलंकार है
कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है, में कौन सा अलंकार है
तारे आसमान के हैं आये मेहमान बनि में कौन सा अलंकार है
मजबूत शिला-सी दृढ़ छाती में कौन-सा अलंकार है
सारंग ले सारंग चली कर सारंग की ओट , सारंग झीनो देखकर सारंग कर गई चोट,में कौन सा अलंकार है
जननी तू जननी भई,विधि सन कछु ना बसाय, में कौन सा अलंकार है
असंख्य कीर्ति रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी में कौन-सा अलंकार है
केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगती की मूक प्यास इसमें कौन सा अलंकार है
हरिपद कोमल-कमल से में कौन-सा अलंकार है
किसबी, किसान-कुल बनिक, भिखारी, भाट में कौन सा अलंकार है
‘दुख है जीवन-तरु के मूल।’ में कौन सा अलंकार है
मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों में कौन सा अलंकार है
सपनों के गुब्बारे फोड़ती सुबह में कौन सा अलंकार है
लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए में कौन सा अलंकार है
किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची। फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।’ में कौन सा अलंकार है
रती-रती सोभा सब रति के शरीर की,मैं कौन सा अलंकार है
पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेतु,में कौन सा अलंकार है
बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों में, मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।’ में कौन सा अलंकार है
जिन दिन देखे वे कुसुम गई में कौन सा अलंकार है
राम हृदय जाके नहीं, विपति सुमंगल ताहि में कौन सा अलंकार है
सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।’ में कौन सा अलंकार है
‘दादुर धुनि चहुँ दिशा सुहाई। बेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई ।’ में कौन सा अलंकार है
भजन कहो ताते भज्यो, भज्यो न एको बार में कौन सा अलंकार है
‘माला फेरत जुग भया, मिटा न मनका फेर, कर का मनका डारि के मन का मनका फेर।’ में कौन सा अलंकार है
उषा सुनहरे तीर बरसाती, जय लक्ष्मी-सी उदित हुई।’ में कौन सा अलंकार है
दुख इस मानव-आत्मा का रे में कौन सा अलंकार है
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में। में कौन सा अलंकार है
एक सुंदर सीप का मुँह था खुला में कौन सा अलंकार है
‘राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था।’ में कौन सा अलंकार है
या अनुरागी चित्त की गति समझे नहिं कोय में कौन सा अलंकार है
जानति सौति अनीति है में कौन सा अलंकार है