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संवेग शरीर की वह जटिल दशा है जिसमें श्‍वास, नाड़ी तन्‍त्र, ग्रन्थियां, मानसिक स्थिति, उत्‍तेजना, अवबोध आदि का अनुभूति पर प्रभाव पड़ता है तथा पेशियां निर्दिष्‍ट व्‍यवहार करने लगती हैं। यह कथन है

samveg Sharir Ki Vah Jatil Dasha Hai Jisme Shwaas, Naadi Tan‍tr, Granthiyan, Maanasik Sthiti, Ut‍tejana, Avabodh Aadi Ka Anubhooti Par Prabhaav Padata Hai Tatha Peshiyaan Nirdish‍ta V‍yavahaar Karane Lagati Hain. Yah Kathan Hai: संवेग शरीर की वह जटिल दशा है जिसमें श्‍वास, नाड़ी तन्‍त्र, ग्रन्थियां, मानसिक स्थिति, उत्‍तेजना, अवबोध आदि का अनुभूति पर प्रभाव पड़ता है तथा पेशियां निर्दिष्‍ट व्‍यवहार करने लगती हैं। यह कथन ग्रीन का है।