कवि सूरदास 15 वीं सदी में अपनी रचनाओं से प्रभाव डालने वाले एक महान कवि और संत थे। सूरदास भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में इनकी गुणवत्ता काव्य के माध्यम से रोशन हुए हैं। सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक ग्राम में इनका जन्म हुआ था, हालांकि कुछ विद्वानों का कहना है कि वह सीही में पैदा हुए हैं। इनके पिता का नाम पंडित रामदास शाश्वत था और इनके माता का नाम जमुना दास थी। सूरदास का जीवन परिचय
सूरदास जी को पुराणों और उपनिषदों का विशेष ज्ञान था। सूरदास जी बचपन से अंधे थे या नहीं इसके बारे में कोई प्रमाणित पुष्टि नहीं की गई, हालांकि अपने काव्य से जो भाव उत्पन्न करते थे तो ऐसा नहीं लगता था कि वह जन्म से अंधे थे ऐसा लगता था कि जन्म के बाद ही अंधे हुए हैं। श्रृंगार रस का वर्णन अधिक किया करते थे विवाह को लेकर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला कि वह विवाहित थे, फिर भी लोगों का मत है कि वह विवाहित हैं जो उनकी पत्नी का नाम रत्नावली माना जाता है। सूरदास का जीवन परिचय
सूरदास अपने परिवार से विरक्त होने के पश्चात पदों का गायन करते थे। श्री वल्लभाचार्य ने अपना शिष्य बनाया जिसके बाद भगवान की साधना में लग गए श्री वल्लभाचार्य के साथ मथुरा में गऊघाट पर श्रीनाथजी के मंदिर में रहते थे। वल्लभाचार्य के साथ रहकर कृष्ण लीला का गायन करते थे।
सूरदास की प्रमुख कृति -सूरसागर, साहित्य लहरी,सुरसरावली है. सूरदास का जीवन परिचय