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माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय?

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म सन 1889 ईस्वी में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जनपद के अंतर्गत बावई नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित नंद लाल चतुर्वेदी था।वह एक कुशल अध्यापक थे, परिणामत: माखनलाल जी की शिक्षा दीक्षा अपने पिता की देखरेख में ही हुई। इन्होंने विद्यार्थी जीवन में ही तुकबंदी प्रारंभ कर दी थी। इनके शिक्षा अधिक नहीं चली घर पर ही इन्होंने संस्कृत, बांग्ला, गुजराती और अंग्रेजी का अध्ययन किया।माखनलाल चतुर्वेदी जी एग्जाम पास करके अध्यापक हो गए। परंतु शीघ्र ही नौकरी से त्यागपत्र देकर पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए। कर्मवीर नामक पत्रिका कुशल संपादन किया। इन्होंने श्री गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रेरणा से कानपुर के 'प्रभा' नामक पत्र का भी सफल संपादन किया। देश प्रेमी होने के कारण चतुर्वेदी जी ने राष्ट्रीय आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया।और अनेक बार जेल यात्राएं भी की सन 1943 ईस्वी में इन्हें हिंदी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया। इनकी विद्वत्ता एवं साहित्य साधना से प्रभावित होकर सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डीoलिटo की उपाधि प्रदान की और भारत सरकार ने पदम भूषण की उपाधि से विभूषित किया माखनलाल चतुर्वेदी जी ने सन 1968 ईस्वी में नश्वर शरीर को त्याग कर स्वर्ग सिधार गए हैं।

 

माखनलाल चतुर्वेदी जी प्रतिभा संपन्न कवि थे। इन्होंने 16 वर्ष की अवस्था में ही पहला पद रचा था। वास्तव में चतुर्वेदी जी कवि साहित्यकार विचारक और राष्ट्रीय नेता थे। इन्होंने हिंदी साहित्य सेवा के लिए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। इन्होंने कर्मवीर नामक पत्रिका 30 वर्ष तक संपादन किया। चतुर्वेदी जी गांधीवादी विचारधारा से विशेष प्रभावित थे इनके काव्य में देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। उन्होंने काव्य के साथ-साथ नाटक, निबंध और कहानी साहित्य की भी रचना की है। 

 

परिचय एक दृष्ट में 

 

  • नाम - माखनलाल चतुर्वेदी
  • पिता का नाम - पंडित नंदलाल चतुर्वेदी
  • जन्म - सन 1889 ईस्वी
  • जन्मस्थान - मध्य प्रदेश
  • शिक्षा - अंग्रेजी संस्कृत बांग्ला गुजराती भाषा का अध्ययन
  • संपादन - प्रभा, कर्मवीर
  • भाषा शैली सरल और प्रवाह पूर्ण
  • प्रमुख रचनाएं - रामनवमी समर्पण युग चरण हिना तरंगिणी साहित्य देवता
  • निधन - सन 1968 में
  • साहित्य में स्थान - राष्ट्रीय कवियों में श्रेष्ठ स्थान