रुचियों, मूल प्रवृत्तियों एवं स्वाभाविक संवेगों का स्वस्थ विकास हो सकता है यदि
ruchiyon, Mool Pravrttiyon Evan Svaabhaavik Sanvegon Ka Svasth Vikaas Ho Sakata Hai Yadi : रुचियों, मूल प्रवृत्तियों एवं स्वाभाविक संवेगों का स्वस्थ विकास हो सकता है यदि वातावरण जिसमें वह रहता है, स्वस्थ हो।