Batras Lalach-lal Ki Murli Dhari Lukay Saunh Kare Bhuhanu Hase Dhain Kahe Nat Jay : बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करै भौंहनु हँसे , दैन कहै , नटि जाय में संयोग श्रृंगार रस है।
बतरस लालच लाल की मुरली किसकी रचना है? = Bataras Lalach Lal Ki Murali Dhari Lukay,( Bihari Ke Dohe ) बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ. बिहारी सतसई की रचना है।