तर्क एक ऐसा उत्पादक चिंतन है। जिसमें किसी समस्या का समाधान करने के लिए पहले अनुभव को नए ढंग से संगठित किया जाता है।
वुडवर्थ के अनुसार - मन में उद्देश्य एवं लक्ष्य को रखकर क्रमानुसार चिंतन करना ही तर्क है।
- बालक जैसे-जैसे पड़ता है उसमें चिंतन एवं तर्क करने की क्षमता आ जाती है।
- तर्क के द्वारा बालक अपनी बात को सही सिद्ध करने का प्रयास करता है।
- व्यक्ति में चिंतन करने से तर्क की क्षमता बढ़ जाती है।
- चिंतन प्रथम सोपान है उससे जुड़ा तर्क दूसरा सोपान है।
- 11 से 12 वर्ष की आयु में तारक की क्षमता आ जाती है।