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मूल कर्तव्यों की संख्या है

mool Kartavyon Ki Sankhya Hai : मूल कर्तव्यों की संख्या ग्यारह है। 86 वें संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा मूल या मौलिक कर्तव्य में यह जोड़ा गया कि 6 से 14 वर्ष के बालकों के माता-पिता और संरक्षकों का यह कर्तव्य होगा कि वह उन्हें शिक्षा का अवसर प्रदान करें इस तरह से भारतीय संविधान में मूल कर्तव्य की संख्या अब 11 हो गया है।