छठी योजना के दौरान ‘गरीबी रेखा’ को ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 2,400 कैलौरी तथा शहरी क्षेत्र में 2,100 कैलोरी के रूप में परिभाषित किया गया।