संयोगकाल में नायक और नायिका की पारस्परिक रति को संयोग श्रृंगार रस कहा जाता है,सरल शब्दों में कहें तो संयोग श्रृंगार में नायक-नायिका के परस्पर मिलन कि अनुभूति होती है.