लोकमान्य तिलक की चिता-भस्म को सिर पर चढ़ाते हुए यह महात्मा गाँधी प्रतिज्ञा की थी कि प्राण देकर भी लोकमान्य के स्वराज्य के मंत्र को पूरा करूंगा।