चिंतन एक ज्ञानात्मक प्रक्रिया है। इसका आधार प्रत्यक्षीकरण और स्मृति होता है। यह प्रक्रिया किसी समस्या के उपस्थित हो जाने के कारण प्रारंभ होती है। और उसके अंत तक चलती है।आमतौर पर चिंतन को सीखना कहते हैं। चिंतन व्यक्ति का प्रतीकात्मक व्यवहार है। चिंतन के विकास हेतु बच्चों में करके सीखने की प्रक्रिया जागृत करना अत्यंत आवश्यक है।
गिलफोर्ड के अनुसार - चिंतन प्रतीकात्मक व्यवहार है यह सभी प्रतिस्थापन से संबंधित है। chintan-ka-sandhi-vichchhed : चिंतन का संधि विच्छेद चिम् + तन होगा।