1- प्रत्येक बालक में बुद्धि विकास बुद्धि एवं विकास की गति एक समान नहीं होती इसलिए हमें व्यक्तिगत भिन्नताओं का ध्यान रखना चाहिए।
2- पालक के वृद्धि विकास एवं विकास की समस्त स्थितियों अर्थात विभिन्न पहलुओं जैसे - मानसिक, शारीरिक, संवेगात्मक और सामाजिक विकास आदि परस्पर एक दूसरे से संबंधित है इस बात का ध्यान एवं ज्ञान हमें बालक के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देने हेतु प्रेरित करता है।
3- बालक के बुद्धि एवं विकास की प्रगति का ज्ञान कर लेने के बाद बालक भविष्य में कैसे और क्या बन सकता है हम अनावश्यक श्रम तथा निराशा उसे अपने आप को स्वतंत्र रख सकते हैं।
4- बालक के वृद्धि एवं विकास में वातावरण तथा वंशानुक्रम दोनों ही उत्तरदाई है। हम इस बात का ज्ञान वातावरण में सुधार लाकर बालकों का अधिकाधिक कल्याण कर सकते हैं तथा यह आवश्यकता इसके लिए हमें प्रेरित करती है।
5- वृद्धि और विकास की दिशा में परिणाम संबंधी सिद्धांत यह बताते हैं कि विकास निश्चित दिशा में होता है विशेष अवस्था एवं आयु में बालक का विकास के ज्ञान से इस विषय में मदद ली जा सकती है।
6- बालक के भविष्य में होने वाली वृद्धि और विकास को ध्यान में रखते हुए क्या-क्या विशेष परिवर्तन होंगे इस बात पर ज्ञान हमें सिद्धांतों के आधार पर हो सकता है।